हमारी प्राचीन पवित्रतम धरोहर तुलसी जिसके गुणों की उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए हमारे ऋषि-मुनियों ने इसे मातृस्वरूपा अर्थात् माँ के समान कहा है। आज हमारे द्वारा ही ध्यान न दिये जाने पर बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ हमारी इस तुलसी का भी पेटेंट करवाकर हमारे आँगन से दूर ले जाकर शीशियों में बंद करके हमसे ही हजारों गुना कीमत वसूल रही हैं। आज हमारा हिन्दू अपनी ही तुलसी को इन विदेशी कम्पनियों से उनकी मुँह माँगी कीमत देकर खरीद रहा है। अतः इसी बात को ध्यान में रखते हुए आश्रम के पवित्र वातावरण में उपजी सर्वरोगहारी तुलसी को होमियोपैथिक चिकित्सा-पद्धति द्वारा तैयार करके छोटी-छोटी, मीठी गोलियों के रूप में बनाया जा रहा है, जो सर्व सामान्य के उपयोग हेतु मात्र लागत मूल्य पर उपलब्ध रहेगी।
इनके नियमित सेवन से -
* हृदयरोग, अस्थमा (दमा), हिचकी, विष-विकार, श्वास- खाँसी, प्रतिश्याय, खून की कमी, दंत रोग में चमत्कारी लाभ मिलता है। साथ ही ये शिरःशूल, प्रजनन तथा मूत्रवाही संस्थान के रोगों की श्रेष्ठ औषधि हैं।
* बच्चों का चिड़चिड़ापन, आँखों की लाली, एलर्जी के कारण छींके आना, नाक बहना, मुँह में छाले, गले में दर्द, पेशाब में जलन, जीर्ण ज्वर, पसली का दर्द, सर्दी, अरुचि, सुस्ती, दाह आदि के लिए भी ये उपयोगी हैं। ये पित्त को उत्पन्न करती हैं तथा कफ और वात को विशेष रूप से नष्ट करती हैं। फिर भी पित्त प्रकृतिवाले लोग यदि दो-दो गोली सुबह-शाम आधा कप पानी में घोलकर लें तो उन्हें भी इसके लाभ निश्चित रूप से मिल सकते हैं।
* ये हृदय के लिए हितकर, हृदयोत्तेजक, उष्ण तथा अग्निदीपक हैं एवं कुष्ठ, मूत्र विकार, रक्त विकार, पार्श्वशूल आदि को नष्ट करनेवाली हैं। ये हृदय हेतु बलवर्धक होने से अनेक प्रकार के शोथ-विकारजन्य
रोगों में आराम देती हैं। यकृत (लीवर) और आमाशय के लिए बलवर्धक हैं।
* सिर का भारी होना, पीनस, माथे का दर्द, आधा शीशी, ज्वर, जुकाम तथा टॉन्सिल आदि गले के रोगों के लिए बहुत लाभकारी हैं। मिरगी, नासिका रोग, कृमि रोग आदि में विशेष लाभ करती हैं।
* एसिडिटी, संधिवात, मधुमेह (डायबिटीज), खुजली, यौन दुर्बलता, प्रदाह और नजला, फेफड़ों में खरखराहट की आवाज आने पर या गला बैठने पर विशेष लाभकारी है।
* इनमें निहित थाइमोल तत्त्व दाद, एक्जिमा, ल्यूकोडर्मा, छाज-खाज, शरीर के ऊपर सफेद धब्बे आदि त्वचा संबंधी रोगों में लाभ करता है।
* पाचनशक्ति बढ़ाने के लिए, अपच रोगों के लिए तथा बालकों के यकृत, प्लीहा संबंधी रोगों के लिए तथा वमन की स्थिति में ये अपना विशेष प्रभाव दिखाती हैं।
* ये शारीरिक बल एवं स्मरणशक्ति में वृद्धि के साथ-साथ आपके व्यक्तित्व को भी प्रभावशाली बनाती हैं। इन्हें थोड़े दिनों तक लेते रहने से मेधाशक्ति बढ़ती है, ये एक प्रकार की टॉनिक हैं। ये मानसिक तनाव से बचाती हैं और टी.बी. के जीवाणुओं का बढ़ना रोक देती हैं।
* इनके नियमित सेवन से मोटापा घटता है एवं पतले व्यक्ति का वजन बढ़ता है। अर्थात ये शरीर का वजन आनुपातिक रूप से नियंत्रित करती हैं।
* ऋतु परिवर्तन में होनेवाली सर्दी एवं जुकाम में यह फायदा करती हैं।
* ये हर आयुवर्ग के रोगी तथा निरोगी सभी के लिए लाभदायी हैं।
How To Use Homeo Tulsi Tablet – उपयोग विधि [Kaise Upyog Kare] – Dosage
5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए, दिन में तीन बार एक Homeopathic Tulsi Goli लेने की सलाह दी जाती है। वयस्कों और अन्य लोगों के लिए, दिन में तीन बार दो से तीन Homeo tulsi pills या Homeo tulsi tablets ली जा सकती हैं। यह सलाह दी जाती है कि गोलियों को नंगे हाथों से न छुएं और त्वचा संबंधी किसी भी समस्या से बचने के लिए गोलियां लेने से दो घंटे पहले और बाद में दूध का सेवन करने से बचें।
सेवन विधि :- 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चे 1 गोली दिन में 3 बार चूसें तथा अन्य सभी 2-3 गोली दिन में 3 बार चूसें, कृपया गोलियों को हाथ से स्पर्श ना करें।
चेतावनी:- इनके सेवन से पहले एवं बाद डेढ़ से दो घंटे तक दूध न पियें, चर्म रोग हो सकता है। इन्हें रविवार को न खायें।